देशराजनीती

क्या होगा पीके का रोल? कांग्रेस का दामन थामेंगे या बाहर से ही देंगे सलाह!

राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा बनी हुई है कि प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में शामिल हो सकते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, प्रशांत किशोर की कांग्रेस के साथ कैसी भूमिका होगी इसपर जल्द ही फैसला हो सकता है.

पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रधान सलाहकार के पद से इस्तीफा दे दिया है. ये फैसला तब हुआ है जब पिछले कुछ दिनों से ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी (Congress Party) में शामिल हो सकते हैं. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, प्रशांत किशोर की कांग्रेस के साथ कैसी भूमिका होगी इसपर जल्द ही फैसला हो सकता है.

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बीते कुछ वक्त में कांग्रेस के आलाकमान के साथ कई बैठकें की हैं, जिनमें कांग्रेस को एक बार फिर से खड़ा करने के रोडमैप का प्रस्ताव रखा गया है. माना जा रहा है कि प्रशांत किशोर की कांग्रेस में एंट्री हो सकती है और उन्हें चुनावी रणनीति से जुड़ा कोई महत्वपूर्ण पद भी मिल सकता है.

एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, प्रशांत किशोर को कांग्रेस में महासचिव का पद मिल सकता है और चुनावी रणनीति की पूरी ज़िम्मेदारी उनके हाथ में आ सकती है. पार्टी के भीतर ही ये अटकलें हैं कि मॉनसून सेशन के तुरंत बाद प्रशांत किशोर कांग्रेस में शामिल होंगे.

हालांकि, प्रशांत किशोर के करीबी सूत्रों का कहना है कि प्रशांत किशोर ऐसे किसी ऑफर के बारे में नहीं जानते हैं, ना ही वो किसी पद के लिए आतुर हैं. PK के कामकाज को जानने वालों की मानें तो प्रशांत किशोर और कांग्रेस के बीच में तभी कोई संबंध बन पाएगा, जब पीके को पूरी तरह से काम करने और फैसले लेने की पूरी आज़ादी मिल पाएगी.

पिछले महीने ही प्रशांत किशोर को राहुल गांधी के आवास 12 तुगलक रोड पर देखा गया था, जिसके बाद से ही पीके की कांग्रेस में एंट्री की अटकलें तेज़ हुई हैं. बीते कुछ वर्षों में भारतीय राजनीति में प्रशांत किशोर की वैल्यू काफी तेज़ी से बढ़ी है, जहां उन्होंने अपने दम पर राजनीतिक दलों को जीत दिलाई है.

साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस पार्टी के सामने नेतृत्व का संकट है और पार्टी भीतर और बाहरी कई संकटों से गुजर रही है. ऐसे में कई लोगों को मानना है कि अगर पीके पार्टी के साथ आते हैं, तो 2024 में मोदी बनाम राहुल की जंग में कांग्रेस को फायदा होगा.

वहीं, कांग्रेस के कई नेता चिंता में भी हैं क्योंकि प्रशांत किशोर का पूर्व में कई राजनीतिक दलों के साथ संबंध रहा है, ऐसे में पार्टी के भीतर पीके को क्या रोल मिले इसपर मंथन जारी है. पूर्व में प्रशांत किशोर की रणनीति ऐसी ही रही है कि वो संगठन में ज़ोरदार बदलाव करते हैं और फिर पार्टी को नई दिशा देते हैं. यही वजह है कि बदलाव को टालने वाले कुछ नेताओं के लिए ये चिंता का भी कारण है.